Thursday, May 31, 2007

Aaj Sone De Maa...

No comments... Just scribbled these lines today... Think...


आज सोने दे माँ !
-------------------

आज सोने दे माँ,
भोर भये कल जाना है,
नेता जी गरीबों को कल खाना बाँटेंगे,
शायद कुछ खाने को मुझे भी मिल जाये;
भूखा हूँ कितने दिनों से;
पेट भर के कब खाया था कुछ याद नही;
आज सोने दे माँ..

कलवा कह रह था कि वो कल आएगा,
कैसे माँगते हैं भीख , सिखायेगा,
शायद कोई चम् चम् गाड़ी में बैठा
मेरे फैले हाथों में शायद कोई कुछ पैसे दे जाये,
उन पैसों से फिर मैं भी पेट भर खाना खाऊंगा,
अभी ना सोया तो सुबेह जल्दी उठ नही पाऊँगा;
आज सोने दे माँ...

एक बात बता माँ मुझको,
क्यों मुझको कहीँ फैंक नही आयी थी तू?
पैदा तो हो गया था, फिर क्यों पाल नही पाई थी तू,
यह बाक़ी के ७ भाई बहिन मेरे,
क्या तुझको कम लग रहे थे?
इनको संभाल नही पा रही थी;
क्यों फिर मुझे इस दुनिया में लायी तू?
अब आ गया हूँ तो जिंदा रहने को खाना भी होगा,
सुबेह फिर बस्स अड्डे पर सामान उठाने को जाना होगा,
कुछ काम मिला तो छोटी बहिन के लिए थोडा दूध लाऊँगा,
थोड़ी सी पतली दाल , थोड़े से चावल मैं भी खाऊंगा,
बहुत अच्छे लोग आते हैं वहाँ माँ,
थोडा खा के बाक़ी फैंक देते हैं मेरे जैसो के लिए,
ज़मीन पर गिरा हुआ था खाना तो क्या हुआ?
पेट में जा के तो भूख को मिटा पायेगा,
शायद कल कचरे के डब्बे में मुझे भी कुछ मिल जाये,
आज सोने दे माँ॥

थक गया हूँ माँ,
आज सोने दे,
सुबेह मंत्री जी कि रैली में गया था,
कुछ आठ दस लाठी खाने के पुरे पचास रुपेह मिले थे,
१० रुपेह कि बापू ने शराब पी ली,
१० से तेरी लिए नयी धोती लाया था,
बाक़ी मंत्री के आदमी ने रख लिए,
वरना अगली बारी नही बुलाता;
फिर कैसे ३ दिन बाद फिर लाठी खाता,
आज के ज़ख़्म अभी भरे नही है,
थोडा आराम कर लिया तो शायद फिर लाठी खा पाऊँगा,
पचास रुपेह फिर कमा के , शायद फिर बीस रुपेह घर ला पाऊँगा,
नही तो इस महिने का खोली का किराया नही जाएगा,
कल सुबेह वोह गुंडा मकान मालिक फिर आया था,
देखा था मैंने किस नज़र से तुझको और बड़ी बहिन को देखा था उसने,
पैसे नही कमाये तो फिर वो तुमको हाथ लगाएगा,
अभी उससे लड़ने कि हिम्मत नही है माँ,
अभी मुझे बहुत कुछ करना है,
सब का और अपना पेट भरना है,
पांच दस साल में कुछ पैसे बच जायेंगे,
तो शायद हम भी कभी उस अच्छी वाली खोली में जायेंगे;
वहाँ तो नहाने का नलका भी है,
पर यह सब तो तभी हो पायेगा;
जब तेरा यह बेटा हर सुबेह काम पर जाएगा,
तो बस माँ, अब कपडे पहन ले,
बापू ने ऐसे देखा हम दोनो को तो बहुत चिलायेगा,
फिर आज रात को शोर मच्चायेगा;
तो आज सोने दे माँ...
क्या मालूम, फिर कब सोने को मिले...

No comments: